शकराल की कहानी - 15

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(15) मेरे जानवर बनने की कहानी बहुत लम्बी है- राजेश ने ठंन्डी सांस लेकर कहा । तो क्या हुआ-सुनाओ - सुनानी ही पड़ेगी मगर अभी नहीं-. फिर कब-? पेट पूजा करने के बाद — इत्मीनान से इतने में चट्टान निकट आ गया था इसलिये उसने जिद नहीं की- खामोश ही रही । खुशहाल आग जलाने की कोशिश कर रहा था—दोनों मादाओं को देखते ही झटके के साथ उठा और दूसरी ओर की ढलान में उतर गया। ठहरो सुनो कहां भागे जा रहे हो।” राजेश शकराली भाषा में चीखा । “तुम भी इधर हो आओ—उन कुतियों को वहीं छोड़ो-