शकराल की कहानी - 14

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(14) “किस बात पर यह प्रशंसा कर रहे हो— मेरे उछलने कूदने प या लोटें लगाने पर या गाने पर । इनमें से किसी बात पर नहीं- खुशहाल ने हंस कर कहा । फिर ? तुम्हारे गले से निकलने वाली आवाज पर खुशहाल ने हुये कहा, कोई यह नहीं कह सकता कि तुम वनमानुष नहीं हो।' किसी की मजाल नहीं कि कह सके, राजेश ने कहा। ठीक उसी समय दोनों मौन हो गये थे । उन्होंने किसी का अट्टहास सुना था। आवाज कुछ दूर की थी । राजेश ने खुशहाल की ओर देखा । उसने खुशहाल की और देख उसके