शकराल की कहानी - 13

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(13) बहादुर की प्रतीक्षा में दोपहर हो गई मगर वह नहीं आया। क्या आज पूरा दिन उसके इन्तजार में यहीं गुजारना है? नहीं—अगर उसे आना होता तो अब तक आ गया होता। खुशहाल ने कहा । तो फिर? अब हम उसकी तलाश में चलेंगे। मैं नहीं जाऊंगा। खुशहाल एकदम से भड़क उठा। क्यों? वह मुझे मुसीबत में छोड़ कर भागा था—फिर में उसके लिये क्यों मुसीबत उठाऊं? खुशहाल ने बड़ी घृणा के साथ कहा। राजेश ने बड़ी बड़ी मुश्किलों से उसे समझा बुझा कर बहादुर की तलाश पर आमादा किया। तो उसकी तलाश में हम किधर चलेंगे? खुशहाल ने पूछा