शकराल की कहानी - 10

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(10) हा- मैं अपने आपको तुमसे बड़ा नहीं समझता । यह तुम्हारी ही मेहरवानी थी कि आज मैं जिन्दा हूँ--वर्ना मरखर गया होता। सरदार बहादुर ने कहा। हां---अब कहो-क्या कह रहे थे? मैं यह कह रहा था कि यह कोई महामारी या आस्मानी बला नहीं है। फिर क्या है? हरामियों का हरामीपन है राजेश ने कहा । क्या मतलब?” यह कुछ हरामियों के दिमाग का कारनामा है-वह आदमियों को वनमानुष बना रहे हैं। मगर क्यों ? वह उन शकरालियों में आतंक फैलाना चाहते हैं जो मीरान वाटी - से गुजरते रहते हैं। आतंक फैलाने का कारण क्या हो सकता