सेवा और सहिष्णुता के उपासक संत तुकाराम - 8

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कर्मकांडी पंडितों द्वारा विघ्न-बाधाएँपूना से नौ मील दूर बाघोली में रामेश्वर भट्ट नाम का विद्वान् कर्मकांडी पंडित निवास करता था। तुकाराम जी की कीर्ति को समस्त प्रदेश में फैली हुई देखकर और प्रत्येक व्यक्ति के मुख से उनके रचे हुए अभंगों को सुनकर उसको बड़ा बुरा लगा। खासकर इसलिए कि तुकाराम शूद्र था और अब अनेक ब्राह्मण भी उसके पैर स्पर्श करने लगे थे। रामेश्वर के विचारानुसार यह शास्त्रों द्वारा निर्देशित वर्ण-धर्म का स्पष्ट उल्लंघन था। इन दिनों महाराष्ट्र में स्मृति धर्म के मानने वाले ब्राह्मणों का विशेष रूप से बोलवाला था और वे शूद्रों को हर तरह से दबाकर