मुसाफ़िर जाएगा कहाँ?--भाग(२४)

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ठाकुर वीरभद्र सिंह ने गुस्से में आकर लक्खा से कहा.... अब इस किशोर का कुछ ना कुछ इन्तजाम करना ही पड़ेगा,ये अपनी हदें भूल रहा है,शायद इसे मालूम नहीं कि हम कौन हैं इसलिए शायद इसने हमारी इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश की है,वन विभाग में शिकायत करने वाली धमकी तक तो ठीक था लेकिन अब इसने हमारे घर में सेंध लगा दी है, जिसे हम कभी बरदाश्त नहीं कर सकते , तो मेरे लिए क्या हुकुम है सरकार! ,लक्खा ने पूछा... पहले ओजस्वी को लौटने दो,देखते हैं कि वो क्या जवाब देती है,तभी हम अपना फैसला तुम्हें बताऐगे़ ,ठाकुर वीरभद्र सिंह