इश्क़ पर ज़ोर नहीं

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वाजिद हुसैन का नाटक पढ़ने से पहले यह नाटक एक बुज़ुर्ग और युवक डाॅक्टर की मुलाक़ात को दर्शाता है। ...डाॅक्टर बुज़ुर्ग के बाग की दलदल में आत्महत्या करने आया था। वह पहले भी आत्महत्या का प्रयास कर चुका था, जिससे उसका चेहरा जल गया था। वह डरावने चेहरे के साथ जीना नहीं चाहता था। बुज़ुर्ग ने उसे आत्महत्या करने से रोका और नर्मी से उसे डिप्रेशन से बाहर निकाला। ... वहां डाॅक्टर की एक लड़की से मुलाक़ात हुई, जो जीवन के प्रति उत्साह पैदा करते-करते उसकी मुहब्बत में खो गई। कहते हैं, 'इश्क़ पर ज़ोर नहीं।' ... बाग में पोल्ट्री