अतीत के पन्ने - भाग 38

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आलेख की कब आंख लग गई पता नहीं चल पाया और फिर सुबह हो गई।आलेख ने देखा कि सब तैयार हो गए थे।पिया वीर के साथ हंस रही थी।आलेख मन में सोचा कि देखा छोटी मां आज पिया कितनी सुन्दर लग रही है बिल्कुल तुम्हारी छवि।।पर अब वो किसी और की अमानत है।मेरे सपने भी तुम्हारे जैसे ही है जो कभी पुरे नहीं होंगे।।फिर सब नाश्ता करने लगे।जतिन ने कहा आलेख बेटा तुमने जो किया वो हम कभी भी भूल नहीं सकते हैं।और फिर आलेख ने कहा अरे नहीं नहीं ऐसा कुछ भी नहीं किया मैंने।फिर सब जाने की तैयारी