मेरे पथ का राही *** 'जिस वाल्टर को अपने जीवन पथ का हमसफर बनाने की खातिर रूही ने अपना घर, अपनी मां तथा समस्त परिवार का कहना नहीं माना था, उसी वाल्टर का एक दिन साथ पाने पर उसने उसे ठुकरा क्यों दिया? जीवन पथ के मार्गों पर चलते हुये अपने हमकदम से ठोकर लगने पर इंसान संभल जरूर जाता है, पर ऐसी ठोकर लगने से मनुष्य के दिल और दिमाग पर जो घाव लग जाते हैं, क्या उनकी कटु स्मृतियां उसको जीवन भर नहीं सताती हैं?' *** 'वाल्टर, कल रात तुमने जो एक बेहूदेपन का व्यवहार मेरे साथ किया,