अनोखी प्रेम कहानी - 12

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भाद्रपद मास की प्रथम रात्रिकमला बलान की शांत जलधारा में विजयमल्ल की विशाल | नौका तैरती चली जा रही थी । उसकी नौका में आज अतिविशिष्ट सवारी , कुँवर दयाल सिंह विचारों के प्रवाह में • उलझा बैठा था । नौका में कुल तीन ही प्राणी थे । कुँवर दयाल सिंह , उनका नौकर झिलमा खबास और नाविक विजयमल्ल । लम्बा - चौड़ा और बलिष्ठ विजयमल्ल का रंग काला , परन्तु हृदय उजला था । लंगोट का धनी विजयमल्ल इतनी उम्र बीत जाने पर भी अविवाहित था । कुश्ती के प्रेमी विजयमल्ल को भरोड़ा के राजपुरुष वाक् - आनंद के