रात का तीसरा पहर,ऊधवगढ़ का छोटा सा वीरान रेलवें स्टेशन,रेलगाड़ी रुकी और उसमें से इक्का दुक्का मुसाफ़िर उतरें,उन्हीं मुसाफिरों में से एक कृष्णराय निगम भी थे,उन्होनें अपना सामान रेलगाड़ी में से नीचें उतारा और स्टेशन पर कुली को इधरउधर देखने लगें,लेकिन नज़र दौड़ाने पर उन्हें वहाँ कोई कुली नज़र नहीं आया... उन्हें रेलवें प्लेटफार्म पर कुछ ठंड का अनुभव हुआ तो उन्होंने कोट के ऊपर अपना ओवरकोट पहना और सिर पर अपनी हैट भी लगा ली,जब उन्हें कोई कुली ना दिखा तो वें अपना सामान स्वयं लेकर स्टेशन मास्टर के केबिन की ओर गए ,वहाँ उस केबिन में बल्ब की