To,meet@sandeepmaheshwari.comमहत्वपूर्ण पहले मैं नहीं बल्कि मेरा दर्शन और मानसिकता का विज्ञान यानी सुसंगठित और सुव्यवस्थित सभी नश्वर इंद्रियों के स्थान पर शाश्वत ज्ञान या अनुभूति के माध्यम् से प्रमाणित, मौलिक या मूल संबंधित होने से असली यानी original विज्ञान “ शरुप्ररा मनोविज्ञान ” अर्थात् मेरा मूल यानी मेरी मौलिकता यानी Originality हैं।।। लेखक और लेखन परिचय ।।रिक्तत्व की सन्निकट प्रकटता हैं शरुप्ररा अर्थात् मेरी प्रत्येक शब्द प्राकट्यता, सत्य मतलब की मिथ्या ज्ञान या अज्ञान से मुमुक्षा ही जिसके प्रति जागरूकता को आकार दें सकती हैं अतः मुक्ति की योग्य इच्छा ही इसके प्रति जागृति उपलब्ध करायेंगी, मतलब साफ हैं कि