रबिया की प्रभु-भक्ति विख्यात है। वे मन, आत्मा व प्राण से ईश्वर का स्मरण करती रहतीं और प्राणिमात्र को प्रभु की रचना मानकर सेवा कार्यो में लगी रहतीं। उनका मन सदा-सर्वदा प्रभु की उपासना में लगा रहता था, वह दिन-रात प्रभु के चिन्तन में अपना समय बिताती। रबिया अपने प्रभु को अपना परम सखा मानती थीं।आज से बारह सौ वर्ष पूर्व तुर्किस्तान के बसरा नामक नगर में रबिया का जन्म एक गरीब मुसलमान के घर हुआ था। रबिया उसकी चौथी कन्या थी। रबिया की माँ तो उसके बचपन में ही मर गयी थी। पिता भी रबिया को बारह वर्ष की