मैं पापन ऐसी जली --भाग(२८)

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जब सरगम राधेश्याम की बात पर हँस पड़ी तो राधेश्याम बोला.... "हँस लीजिए....आप भी हँस लीजिए,मेरी बेबसी पर", "खुद को बेबस कहता है नालायक!,बेबस तो मैं हूँ जिसे ऊपरवाले ने ऐसा नकारा बेटा दिया है",,शिवसुन्दर शास्त्री जी बोले... "बाबा! क्या मेरे भीतर कोई भी खूबी नहीं है जो दिन रात मुझे कोसते रहते हो",राधेश्याम शास्त्री ने पूछा... "कोसता नहीं हूँ बेटा! मैं तो बस इतना चाहता हूँ कि तू सही राह पर चले,खूबियाँ तो तुझमें खूब है लेकिन तू उन खूबियों का इस्तेमाल करता कहाँ है,तू मेरी बात सुनता होता तो आज तेरा ये हाल ना होता", शिवसुन्दर शास्त्री जी