रश्मिरथ

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डाॅ. प्रभातसमीर इस नए प्रकार के महाभारत का सू़त्रपात उसी दिन हो गया था, जिस दिन राघव अपनी बेटी रमा का रिश्ता लेकर मिश्रा के घर गए थे । पीढ़ियों से राघव के घर में अड्डा जमाए बैठी लक्ष्मी का उनके घर में रूप और आकार बढ़ता ही चला जा रहा था। धन और वैभव के जादू में बंधे राघव अपनी सुन्दर,सर्वगुण सम्पन्न रमा के लिए चुटकियों में योग्य वर और घर का चुनाव कर लेने का दंभ लेकर जब घर से निकले तो ऐसे- ऐसे अनुभवों से उन्हें गुज़रना पड़ा कि उनका सारा अंहकार और ठसका धरा का धरा