मैं पापन ऐसी जली--भाग(९)

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सरगम अपने कमरें आई और बिस्तर पर किताबें फैलाकर पढ़ने बैठ गई,लेकिन जैसे ही उसने किताब उठाई तो उसे रह रहकर आदेश और उसकी बातें याद आने लगीं,उसने मन में सोचा कितना साधारण सा व्यक्तित्व है आदेश का,इतने अमीर घराने का होने पर भी उसमें जरा भी घमण्ड नहीं है,देखने में भी बुरा नहीं है,गोरा रंग,सुन्दर नैन-नक्श और अच्छी भली कद-काठी है उसकी,कितना सभ्य,शालीन और विनम्र है,विदेश में रहकर आया है लेकिन अभी तक अपने संस्कार नहीं भूला,अच्छा लगा उससे बात करके और इसी तरह सरगम कुछ देर तक आदेश के ख्यालों में डूबी रही और वो कब सो गई