मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 9

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लघुकथा क्रमांक -24पर्दा -----"अरे अरे ....रुको ! कहाँ जा रहे हो ? जानते नहीं अब घर में नइकी बहुरिया भी आ गई है?" सुशीला ने घर के अंदर के कमरे में जा रहे रामखेलावन को आगे बढ़ने से रोका।"अरे वही बहुरिया है न गोपाल की अम्मा, जो ब्याह के पहले स्टेज पर गोपाल के बगल वाली कुर्सी पर बैठी रही .....? अब उसमें का बदल गया है कि हम उसको देख नहीं सकते और उ हमरे सामने नहीं आ सकती ?" रामखेलावन ने कहा।**************************************लघुकथा क्रमांक -25नेक काम --------------गाँव में एक बार फिर हड़कंप मचा हुआ था। मुखिया के बेटे ने