एक योगी की आत्मकथा - 33

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{ आधुनिक भारत के महावतार बाबाजी }बद्रीनाथ के आसपास के उत्तरी हिमालय के पहाड़ आज भी लाहिड़ी महाशय के गुरु बाबाजी की जीवंत उपस्थिति से पावन हो रहे हैं। जन संसर्ग से दूर निर्जन प्रदेश में रहने वाले ये महागुरु शताब्दियों से, शायद सहस्राब्दियों से अपने स्थूल शरीर में वास कर रहे हैं। मृत्युंजय बाबाजी एक “अवतार” हैं। इस संस्कृत शब्द का अर्थ है नीचे उतरना। यह “अव,” अर्थात् “नीचे” और “तृ,” अर्थात् “तरण” शब्दों से बना है। हिंदू शास्त्रों में “अवतार” शब्द का प्रयोग ईश्वरत्व का स्थूल शरीर में अवतरण के अर्थ में होता है। बाबाजी की आध्यात्मिक अवस्था मानवी