एक योगी की आत्मकथा - 24

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{ मेरा संन्यास- ग्रहणः स्वामी-संस्थान के अन्तर्गत }“गुरुदेव ! मेरे पिताजी मुझसे बंगाल-नागपुर रेलवे में एक अधिकारी का पद ग्रहण करने के लिये आग्रह करते रहे हैं। परन्तु मैंने साफ मना कर दिया है।” फिर मैंने आशा के साथ आगे कहाः “गुरुदेव ! क्या आप मुझे स्वामी परंपरा की संन्यास दीक्षा नहीं देंगे ?” मैं अनुनयपूर्वक अपने गुरु की ओर देखता रहा। विगत वर्षों में मेरे निश्चय की गहराई की परीक्षा लेने के लिये उन्होंने मेरे इसी अनुरोध को कई बार ठुकरा दिया था। परन्तु आज अनुग्रहपूर्ण मुस्कान उनके मुखमण्डल पर आ गयी।“ठीक है। कल मैं तुम्हें संन्यास दीक्षा दे