"अपनी औकात देखी हैराघव का जन्म एक बेहद ही गरीब परिवार में हुआ था।खाने के लाले।रोज काम ढूंढते।काम मिल जाता तो घर मे चूल्हा जल जाता।ऐसे में गरीब मा बाप बेटे को स्कूल में दाखिला कैसे करा सकते थे।लेकिनसरकार चाहती थी सब साक्षर बने।बच्चे पढ़ाई से वंचित न रहे।और आंगन बाड़ी में कार्यरत लोगो की जिम्मेदारी थी कि बच्चों का स्कूल में एडमिशन कराए।घर घर जाकर वे ऐसे बच्चों को ढूंढते जो स्कूल नही जा रहे थे। एक दिन एक आंगनवाड़ी वाली आकर राघव के माता पिता से बोली,"तुम्हारा बेटा स्कूल जाता है?""नही""इसे स्कूल में भर्ती करवा दो।""क्या करेगा स्कूल