एक योगी की आत्मकथा - 23

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{ विश्वविद्यालय से उपाधि की प्राप्ति }“तुम दर्शनशास्त्र के अध्ययन कार्य की उपेक्षा कर रहे हो। इसमें सन्देह नहीं कि तुम परीक्षा में पास होने के लिये परिश्रमविहीन 'अंतः प्रेरणा' पर निर्भर कर रहे हो। परन्तु यदि तुम एक विद्यार्थी की तरह मेहनत से पढ़ाई नहीं करोगे, तो मैं तुम्हें इस परीक्षा में पास नहीं होने दूँगा।”श्रीरामपुर कॉलेज के प्रोफेसर डी. सी. घोषाल मुझसे सख्ती के साथ बोल रहे थे। यदि मैं उनकी लिखित फाइनल क्लास रूम टेस्ट में पास नहीं होता, तो मैं विश्वविद्यालय की परीक्षा में बैठने के लिये अयोग्य ठहराया जाता। ये नियम कोलकाता विश्वविद्यालय के बनाये