मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - 2

  • 3.1k
  • 1
  • 1.7k

क्रमांक 3सोहनलाल *********बाहर झुलसा देने वाली चिलचिलाती धूप थी, बावजूद इसके तहसील में आवश्यक कार्य होने की वजह से वह घर से बाहर जाने की तैयारी कर रहा था। भगवान की मूर्ति के सामने हाथ जोड़कर उसने चारखाने वाला खादी का गमछा सिर पर लपेटा और बाहर निकल ही रहा था कि उसकी चौदह वर्षीया पोती अचानक सामने आ गई। "दादू ! यह चारखाने का गमछा लपेटकर तो आप पूरे मुस्लिम लग रहे हो।" कहकर खिलखिलाते हुए वह घर के अंदर भाग गई। "अरे बेटा, किसी कपड़े के इस्तेमाल से कोई हिन्दू- मुस्लिम नहीं हो जाता...और फिर मैंने यह गमछा