एक योगी की आत्मकथा - 18

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{ एक मुस्लिम चमत्कार प्रदर्शक }“कई वर्ष पहले, ठीक इसी कमरे में जहाँ तुम अभी रहते हो, एक मुस्लिम चमत्कार प्रदर्शक ने मेरे समक्ष चार चमत्कार दिखाये थे।”श्रीयुक्तेश्वरजी मेरे नये कमरे में पहली बार आये तब उन्होंने यह बात कही। श्रीरामपुर कॉलेज में प्रवेश लेने के तुरन्त बाद ही मैंने निकट स्थित पंथी नामक छात्रावास में एक कमरा लिया था। यह गंगा तट पर स्थित पुराने ढंग का ईंटों का एक भवन था।“यह कैसा संयोग है, गुरुदेव ! क्या ये नव-शृंगारित दीवारें स्मृतियों को अपने में छिपाये इतनी पुरातन हैं ?” अपने सीधे-सादे तरीके से सजाये गये कमरे में मैंने