एक योगी की आत्मकथा - 10

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{ अपने गुरु श्रीयुक्तेश्वरजी से मेरी भेंट }“ईश्वर में श्रद्धा कोई भी चमत्कार कर सकती है, केवल एक को छोड़कर – अध्ययन के बिना परीक्षा में उत्तीर्ण होना।” झुंझलाकर मैंने वह “प्रेरणाप्रद” पुस्तक बंद कर दी जिसे मैंने खाली समय में एक दिन उठा लिया था।“लेखक का यह अपवाद कथन उसकी ईश्वर में श्रद्धा का पूर्ण अभाव दर्शाता है”, मैंने सोचा। “बेचारा! रात-रात भर पढ़ाई करने में उसे अत्यधिक विश्वास है!”मैंने पिताजी को वचन दे रखा था कि मैं अपनी हाई स्कूल की पढ़ाई पूर्ण करूँगा। मैं परिश्रमी विद्यार्थी होने का दावा नहीं कर सकता। महीने पर महीने बीतते गये