गगन--तुम ही तुम हो मेरे जीवन मे - 8

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और आखिर बरात। 24 जून 1973 को खान भांकरी पहुंच गई थी।यह स्टेशन दौसा से पहले आता था जब यह सेक्शन मीटर गेज था।आमान परिवर्तन यानी बड़ी लाइन हो जाने पर इस स्टेशन को खत्म कर दिया गया।अब खण्डर शेष है उस क्वाटर के भी जिससे शादी हुई थी और शादी के बाद पत्नी के साथ कई बार गया था।खण्डर भी न जाने कब तक शेष रहेंगे।लेकिन यह स्टेशन चाहे भौतिक रूप से न रहे।मेरी यादों में तो हमेशा बसा रहेगा।भूल भी कैसे सकता हूँ।उस स्टेशन पर बिजली नही थी।लेकिन जेनरेटर की व्यस्था की गई थी।बरात को क्वाटरों में ठहराया