बौद्ध आचार्यका उद्धारइस प्रकार जब प्रभु दक्षिण यात्रा के समय मार्ग में लोगों को वैष्णव बनाते जा रहे थे, तो वहाँ के मायावादी, तार्किक, मीमांसक तथा बौद्ध आदि लोग इसे सह न सके। उन्होंने प्रभु को शास्त्रार्थ के लिए ललकारा। परन्तु प्रभु ने खेल-खेल में ही उनके मतों का खण्डन कर वैष्णव मत (अचिन्त्यभेदाभेद-तत्त्व) की स्थापना की एक दिन एक बौद्ध-आचार्य अपने बहुत से शिष्यों को साथ लेकर श्रीमन् महाप्रभु से शास्त्रार्थ करने आया, परन्तु प्रभु से बुरी तरह पराजित हो गया। यह देखकर वहाँ पर उपस्थित हजारों लोग बौद्ध आचार्य का उपहास करने लगे तथा प्रभु की जय-जयकार करने