कालवाची के मुँख के भावों को देखकर दुर्गा बनी भैरवी ने पूछा... "क्या हुआ सखी! तुम इस समाचार को सुनकर भयभीत हो उठी क्या ?" "नहीं!मैं भयभीत नहीं हूँ",कर्बला बनी कालवाची बोली... "किन्तु तुम्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि तुम इस घटना से अत्यधिक चिन्तित हो उठी हो", दुर्गा बनी भैरवी बोली... "नहीं!सखी!मैं तो कुछ और ही सोचकर विकल हो उठी थी",कर्बला बनी कालवाची बोली.... "मुझे अपने हृदय की बात नहीं बताओगी,क्या मैं तुम्हारी कोई नहीं लगती?",दुर्गा बनी भैरवी बोली.... तब बात को सम्भालते हुए कौत्रेय बना कुबेर बोला.... " वस्तुतः बात ये है दुर्गा! कि वर्षों पूर्व हमारे