कुछ बच्चे गाँव के कच्चे रास्ते पर गिल्ली-डण्डा खेल रहे थे,तभी उन बच्चों में से एक ने गिल्ली इतनी जोर से उछाली कि वो गिल्ली वहाँ से गुजर रहे ताँगें में बैठी एक सात साल की बच्ची को जा लगी,उस ताँगे में जमींदार शिवपूजन सिंह बैठें थे और वो बच्ची उनकी भाँजी थी,जब उस बच्ची के माथे से गिल्ली जा टकराई तो बच्ची के माथे पर जोर से चुभ गई क्योंकि गिल्ली की गति तीव्र थी और गिल्ली नुकीली भी थी, इसलिए गिल्ली ने बच्ची के माथे पर घाव कर दिया,घाव हुआ तो बच्ची चीखी और बच्ची चीखी तो भला