स्वामी विवेकानंद

  • 3.1k
  • 1.2k

भगवान का भरोसा........गर्मी की भरी दोपहरी का समय था , यात्री रेल गाड़ी के डिब्बे में परेशानी में बैठे थे |बहुत सारे अमीर यात्रियों के साथ एक साधू वेष धारी भी यात्रा कर रहा था |अमीर लोग साधू को कुछ दिए बिना खाना - पीना , हँसी - ठहाके कर रहे थे और साधू का मजाक बना रहे थे | साधू शांत स्वाभाव से बैठा सब देख रहा था , न ही उसे चिढाने पर क्रोध आ रहा था और न ही वो खाने को कुछ मांग ही रहा था |रेल्वे स्टेशन आने पर अमीर यात्री उतर कर ठंडा पानी