गगन--तुम ही तुम हो मेरे जीवन मे - 4

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और लड़की देखने जाने की बात पक्की हो गयी।भाई बांदीकुई चला गया।मुझसे कह गया,"कल आ जाना।"अगले दिन में जाने के लिए तैयार हो गया।ताऊजी ने एक पत्र मुझे लिखकर दिया।पत्र क्या था?एक कॉपी का पेज जिस पर चार लाइन लिखी थी--मैं लड़के को भेज रहा हूँ।मैं चाहता हूँ रिश्ते से पहले लड़का लड़की एक दूसरे को देख ले।आप लड़की दिखा देना।यह खुला पत्र था।किसी लिफाफे में नही रखा था,न बन्द था।मैं बसवा से बांदीकुई गया।उन दिनों रेवाड़ी से बांदीकुई तक 11 बजे पैसेंजर ट्रेन आती थी।इस ट्रेन से मुझे बांदीकुई जाना था।मैं उस दिन उस ट्रेन से ताऊजी की चिट्ठी