वाजिद हुसैन की कहानी -प्रेम कथा यूनिवर्सिटी के वार्षिकोत्सव में ऑडिटोरियम से बाहर निकलते-निकलते केशव ने मुझ से कहा, गज़ल गाते आपको पहली बार सुना, ऐसा लगा गाने वाले की आवाज़ और सुनने वाले के कान के बीच रूह का ताल्लुक है। शरमाते हुए मैने कहा, 'डिबेट में आपको फर्स्ट प्राइज़ मिला है। वास्तव में आपने अपने गुरुजनो के लिए कलात्मक अंदाज़ में जो कुछ बोला वह हक़ीक़त है, कुछ के चेहरे पर तो हवाईयां उड़ने लगी थी।' उसने थैंकं यू कहा, फिर हम इस तरह बात-चीत करने लगे, जैसे बरसों के बाद मिले हो। एक दिन मेरे आग्रह पर