ओ..बेदर्दया--भाग(१०)

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शक्तिमोहन की बात सुनकर शास्त्री जी बोलें.... "इसीलिए....बस इसीलिए मैं नहीं चाहता था कि ये राजनीति में जाए,राजनीति ऐसी चींज है जहाँ बैठे बिठाए दुश्मन बन जाते हैं,अब देखो इसकी क्या हालत कर दी है उस लड़के ने,ये तो उस लड़के से उलझकर,हाथ-पाँव तुड़वाकर घर आ गया और अब हमें बूढ़े माँ बाप को भुगतना पड़ेगा" " आप जरा शान्त हो जाइए ना!उसकी हालत पर कुछ तो तरस खाइए",शैलजा बोली... "इसकी इस हालत का ये खुद ही जिम्मेदार है,हजार बार समझाया कि किसी के फटे में टाँग मत अड़ाया करो ,लेकिन ये हम लोगों की सुनता कहाँ है",शास्त्री जी गुस्से