ओ...बेदर्दया--भाग(३)

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शैलजा का अन्तर्मन तड़प रहा था कि उसने इतनी बड़ी बात अपने पति से छुपाई,उसका वश चलता वो अभी उन्हें सबकुछ बता देती,लेकिन बच्चे के भविष्य का सवाल था,ऐसा ना हो कि उन्हें सब पता चल जाएं और उनका मन बच्चे से कट जाए,वो बाप-बेटे के बीच अलगाव का कारण नहीं बनना चाहती थी,इसलिए वो भावनाओं में ना बही और उसने उस वक्त चुप रहना ही बेहतर समझा.... दिन गुजरने लगें और अब अभ्युदय छः महीने का हो चला था,छः महीने का होने पर उसका अन्नप्राशन हुआ,शास्त्री जी ने सुनार से कहकर खासतौर पर अभ्युदय के लिए चाँदी के बरतन