कलवाची--प्रेतनी रहस्य - भाग(२९)

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ज्यों ही अचलराज ने दुर्गा बनी भैरवी का हाथ पकड़ा तो भैरवी बोली.... "मेरा हाथ छोड़ो,कोई देख लेगा तो क्या समझेगा?" "क्या समझेगा भला? यही कि कहीं तुम मेरी प्रेयसी तो नहीं",अचलराज बोला... "ए!अपनी सीमा में रहो",भैरवी क्रोधित होकर बोली... "सीमा में तो हूँ ही देवी जी! और तुम जैसी लड़की भला किसी की प्रेयसी बनने योग्य है,मैं तो कभी भी तुम्हें अपनी प्रेयसी ना बनाऊँ",अचलराज बोला... "तुम्हारी प्रेयसी बनने में रुचि है भला किसे",दुर्गा बनी भैरवी बोली... "ओहो....तुम्हें ज्ञात होना चाहिए कि ना जाने कितनी ही सुन्दरियाँ मुझसे विवाह करने हेतु मरी जा रहीं है," अचलराज बोला... "ओहो....तो फिर