अधूरी मुलाकात... - 3

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राजीव ने मुस्कुराते हुए उसकी ओर देखकर, जवाब का इंतजार किया और अर्चना अपने दिमाग पर जोर देते हुए कुछ भुले-बिसरे शब्द अपने होंठो पर जुटा ही रही थी कि राजीव बोल पड़ा,” बारिश की हर एक बूंद का स्वाद चखना है, मुझको । कुछ यूं भीगना है आज मुझे कि…”तभी अर्चना ने आखिरी वाक्य को खत्म करते हुए कहा, ” अपने तन से घुलकर, रुह मे मिल जाऊं कही, ” ।राजीव का चेहरा दमक उठा पर वही अर्चना शायद अपने बीते कल में ही कही ठहर गई कि उसकी नजरें गुमराह हो चली । ”हैरानी होती है मुझे, कि