एकांश अपने ऑफिस में बैठा किसी सोच में गुम था कुंवर साहब कुछ हुआ है क्या आकाश आस्था का फास्ट एकांश ने बस इतना ही कहा आकाश और अजय भी खामोश हो गए क्योंकि वह भी इस बारे में कुछ नहीं कर सकते थे एकांश ने फिर भी काम पर फोकस किया आस्था कॉलेज से घर लौट आई फ्रेश होकर सबके लिए चाय बनाई पर रात के खाने की तैयारी करने लगी कुछ ही घंटों में इतना बड़ा डाइनिंग टेबल अलग-अलग पकवानों से भर गया हर रोज की तरह सभी ने आस्था की तारीफ की और खाने का मजा लिया