उस समय लाजो का जी मिचला गया था।ऐसा लग रहा था पेट के अंदर का सब बाहर आ जायेगा।लेकिन धीरे धीरे दिन गुजरने के साथ सब सामान्य हो गया।अब यह उसकी आदत में शुमार हो गया या इसका अभ्यास हो गया था।जस्सो का दारू पीना उसे बुरा लगता था।उसे दारू से घिन्न थी।वह यह भी जानती थी उसे चाहे दारू से कितनी ही चिढ़ हो,उसका पति दारू छोड़ने वाला नही है।जस्सो का घर पहाड़ की तलहटी में बसे गांव रुतपुर में था।जस्सो रोज सुबह खा पीकर घर से निकलता था।वह आस पास के गांव में काम की तलाश में चला