सोई तकदीर की मलिकाएँ - 60

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  सोई तकदीर की मलिकाएं    60   जयकौर का वह पूरा दिन सुभाष का इंतजार करते करते बीता  । समय काटने के लिए वह सारा दिन खुद को काम में झोंके रही । बस मन में एक उम्मीद थी कि शाम होते होते वह आ जाएगा । आखिर दिन ढल गया । शाम हो गई । शाम बीती फिर धीरे धीरे गाँव के आंगन में रात उतर आई । चारों ओर घना अंधेरा छा गया । अमावस की काली बोली रात थी । चाँद को तो आज आना ही न था । चाँदनी के अभाव मे तारे भी अपना