एक व्यक्ति हर रोज मंगला दर्शन अपने नजदीकी मंदिर में करता है और फिर अपने नित्य जीवन कार्य में लग जाता है। कहीं वर्ष तक यह नियम होता रहा। एक दिन ऐसे ही वह मंदिर पहुँचा तो मंदिर के श्री प्रभु के द्वार बंद पाये। वह आकुल व्याकुल हो गया। अरे ऐसा कैसे हो सकता है? उसके हृदय को खेद पहुंचा। वह नजदीकी एक जगह पर बैठ गया। उनकी आँखों से आँसू बहने लगे, और आंतरिक पुकार उठी। " हे बांके बिहारी जी , हे गिर्वरधारी जी। जाए छुपे हो कहाँ, हमरी बारी जी...।।" बहते आंसू और