सरिता के विवाह की तैयारी जोरो - शोरों से चल रही थी... मेहमान आ गये थे... घर में बहुत रौनक थी... पर पिताजी का तो दिल बैठा जा रहा था कि कैसे रहूँगा अपनी प्यारी बेटी के बिना... माँ के भी आँसू नही थम रहे थे...। आज विवाह का दिवस भी आ गया था... फेरे ले रही थी प्यारी बच्ची... एक के बाद एक करके सब रस्में हो गयी अब बारी थी विदाई की रस्म निभाने की... सच... दिल के टुकड़े को विदा करना बहुत बड़ा दिल करना पड़ता है...। पिताजी - माँ के सरिता के गले लग के आँसू