जीवन का खेल

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  जीवन का खेल   "निशा बिटिया, जल्दी कर, देर हो रही है।आज दूर जाना है बिटिया, वहां आज ज्यादा कमाई की आस है।"   "हां बापू, आ रही हूं। रस्सी, डंडा, मटकी, रिंग, पहिया सब उठा लिया है ना माई !!"   "हां गुड़िया रानी, उठा लिया है।"   "आज तो बहुत दूर आ गए है हम, पर बापू यहां तो बड़ी बड़ी मंजिले बनी है, लोग दिख नही रहे कौन देखेगा हमारा खेल?"   "अरे बिटिया, तू शुरू तो कर लोग आ ही जाते है।"   "ठीक है बापू"   "आइए आइए आइए देखिए... तो लड़की तू क्या