कुलदेवता का वास

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काज़ी वाजिद की कहानी यशोदा को इस घर में आए पांच वर्ष हो गए। पहले उसे अपनी क़िस्मत पर नाज़ था। माता-पिता के छोटे-से कच्चे घर को छोड़कर एक हवेली में आई थी, जहां दौलत उसके क़दमों को चूमती जान पड़ती थी। उसके पति कुंवर प्रताप सिंह रूपवान थे, उदार थे शिक्षित थे, विनोदप्रिय थे और प्यार की एक्टिंग भी करना जानते थे। उनके लिए यशोदा का खिला हुआ यौवन और देवताओं को भी लुभाने वाला रूप- रंग केवल विनोद का सामान था। घुड़दौड़ और शिकार, सट्टे जैसे सनसनी पैदा करने वाले मनोरंजन में प्यार दबकर पीला और बेजान हो