मुजाहिदा - ह़क की जंग - भाग 23

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भाग 23आरिज़ चुपचाप सब सुन रहा था मगर बोल कुछ नही रहा था। बड़ी भाभी साहब अपने कमरें में थीं। वैसे भी वह घर में सबसे दूर ही रहती थीं। छोटी फरहा भाभी जान वही बैठी प्याज और लहसुन काट रही थीं। शायद उन्हे कुछ खास डिश बनानी होगी वरना तो सब काम नौकर चाकर ही करते हैं। बीच-बीच में बातें सुन कर अन्दर ही अन्दर फूल रही थीं। शायद वह इस झगड़े से खुश हो रही थी। पक्के तौर पर तो नही कहाँ जा सकता मगर उनके चेहरे से लग रहा था। घर में उनका ही सिक्का चलता है,