"मम्मी, 4:00 बज गए । आपको कीर्तन में नहीं जाना।""जाना तो है बहू लेकिन 5:00 बजे तेरे पापा जी चाय पीते हैं। चाय पिलाकर ही चली जाऊंगी।" "मम्मी जी, क्या मुझे चाय बनानी नहीं आती!!" "अरे वह बात नहीं बहू ! अभी तो किचन से निकली है तू! आराम कर। कहां बीच में उठेगी।"विमला जी अपनी सफाई देते हुए बोली। "मम्मी, रोटियां बनाई है मैंने सिर्फ ! बाकी सारा काम आपने किया। उसमें मुझे क्या थकावट होनी है। आप निश्चित होकर जाइए। मैं पापा जी को समय पर चाय दे दूंगी।"अंजलि मुस्कुराते हुए बोली। ''मैं भी कुछ थकी सी हुई