भाग 108 पुरवा को तकलीफ थी कि महेश उसे छोड़ने हॉस्पिटल तक भी नही आए थे। उनके लिए उसकी तबियत से ज्यादा काम का महत्व था। इलाज का दौर शुरू हुआ। तरह तरह की दवाइयां, इंजेक्शन उसे दिन में कई बार दी जाती थी। पर सुई दवा भी तभी काम करती है जब दिल में ठीक होने की इच्छा हो। पुरवा बे मन से सब कुछ करती। पूर्वी तो रोज ही आती थी मिलने। पवन और विजया छुट्टियों में महेश के साथ आते थे। बस कुछ देर के लिए। आते मिल कर चले जाते। पुरवा अब बस घर से अपने