भाग 100 एक आदर्श पत्नी और मां का फर्ज बखूबी निभाते हुए गुलाब ने पति और पुत्र को समझा कर घर का माहौल तनाव पूर्ण होने से बचा लिया। बहुत सी तैयारियां शादी की करनी थी। वो सब कुछ अच्छे से निपटाने की तैयारी में व्यस्त हो गईं। पहले दीपावली की तैयारी करनी थी। अब मात्र ग्यारह दिन बचे थे। इसी में सब कुछ करना था। गहने तो गुलाब ने बहुत दिन पहले से ही कभी चैन तो कभी झुमका, कभी अंगूठी आदि बनवा कर रख लिए थे। बस चढ़ाव के लिए साड़ियां ही खरीदनी थी। इकलौता बेटा था महेश..