अनजाना सा राही

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अनजाना सा राही     मैंने अपने दुःखो को बहुत करीब से देखा है मैं तुम्हारे अंदर खुद को तलाशने की असीम कोशिश मे कामयाब रहा मुझे तुम्हारे अंदर थोड़ा मैं दिखा बस और क्या मेरे दुःखो ने तुम्हारे अंदर पनाह लेना चाहा ताकी मुझे मिल सके थोड़ी राहत मैं अपने स्वार्थ के पीछे ना जाने कब तुम से प्रेम कर बैठा मुझे पता ही नहीं चला तुम वास्तव मे बहुत खूबसूरत हो चेहरे से ही नहीं अपने ह्रदय से भी मैं तुमसे ये बार-बार कहना चाहता था मेरा ह्रदय पहले से बहुत कठोर हो चूका है पर ना जाने