कटासराज... द साइलेंट विटनेस - 55

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भाग 55 साजिद और अशोक ट्रेन खुलने पर वापस अपनी जगह पर आ कर बैठ गए। अब तक उस व्यक्ति की बातें से दोनो ही संजीदा हो गए थे। साजिद अशोक से कहने लगे, " एक हम है कि बस अपना कारोबार.. अपना धंधा, अपना परिवार, अपने बच्चे इसी में उलझे हुए हैं। देश में क्या हो रहा है इससे हमें कोई मतलब ही नहीं है। आखिर हम भी तो गुलाम हैं इन गोरों के। पर हम क्यों आगे आ कर बलिदान दे..! हम क्यों अपनी आराम की जिंदगी में खलल पैदा करें। इसके लिए तो मोहन जैसे आजादी के