भाग 49 उर्मिला के पास पहुंचते ही सलमा ने खड़े हो कर उसे गले लगा लिया और फिर पास ही बिठा लिया। उर्मिला कलमा से नमस्ते कर सलमा से बातें करने लगी। अशोक को शमशाद और साजिद ने अपने करीब बिठा लिया। पुरवा वहीं उर्मिला के पास सिमटी हुई खड़ी थी चुप चाप। दो मिनट बाद कलमा बोली, "अरे…पुरवा तुम क्यों हम बुढीयों के बीच क्यों अटकी हुई हो..! जाओ अंदर . नाज़ तुम्हारा इंतजार कर रही है सुबह से ही। जाओ बिटिया..!" पुरवा तो संकोच वश यहां रुकी हुई थी। कैसे दूसरे के घर में दनदनाती हुई घुस जाए..!