भाग 45 इधर पुरवा की चाय भी तैयार हो गई। वो जब तक तीन गिलास में चाय ले कर आई सतुआ पिस गया था। वो अशोक को चाय की गिलास पकड़ाया और उनके कंधे पर तारीफ के अंदाज में हाथ रखते हुए मुस्कुरा कर बोली, "वाह..बाऊ जी..! आप तो छुपे रुस्तम निकले। आप तो बड़े गुनी हैं। इतनी इतना सारा सतुआ इतनी जल्दी पीस डाला। अम्मा तो अभी इसे अकेले पीसने में दो घंटे से ज्यादा ही लगाती। हम तो जानते ही नहीं थे कि आपको ये सब भी आता है।" अशोक ने चाय की चुस्की ली और उर्मिला को